सबका साथ ,सबका विकास का नारा देने वाली भाजपा की, भाजपा के वार्ड पार्षदों की अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल से जमकर हुई किरकिरी

आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को हो सकता है बड़ा नुकसान

विधानसभा चुनाव के पहले देवरी में हुई भाजपा की जमकर किरकिरी

देवरी कला। विधानसभा चुनाव के ठीक पहले विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी कही जाने वाली भारतीय जनता पार्टी की देवरी नगर में पिछले तीन दिन से लगातार जमकर किरकिरी हो रही है। अभी कोई भाजपा के जिम्मेदार ,भाजपा की किरकिरी होने के बाद भी जागृत नहीं हो पा रहे हैं?
खासतौर पर नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह के गृह जिले की देवरी विधानसभा क्षेत्र की नगरपालिका देवरी भाजपा समर्थित होने के बावजूद नींद से जागे भाजपा के पार्षदों को 1 साल बाद मोर्चा खोलना पड़ रहा है। देवरी नगर में 15 वार्ड में से सात भाजपा वार्ड पार्षदों को विकास न होने, बिजली, पानी, सड़क ,नाली ,सफाई जैसी विभिन्न समस्याओं और भ्रष्टाचार को लेकर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर जाना पड़ा। भाजपा के पार्षद ही जब भाजपा की सरकार और भाजपा की परिषद होने के बाद आंदोलन करने के लिए मजबूर हुए तब भाजपा की जिम्मेदार पदाधिकारी और नेताओं को चिंतन और मंथन करने के लिए कई सवाल खड़े हो गए हैं। जब प्रदेश में भाजपा विकास कार्यों को गिराने और विकास के नाम पर जनता से आशीर्वाद मांगने के उद्देश्य से गांव औ दोर कस्बे शहरों में जन आशीर्वाद यात्रा निकाल रही है और सबका साथ ,सबका विकास का बुलंद करते हुए जनता के सामने जा रही है, करोड रुपए के विज्ञापन अखबारों और टीवी चैनल पर विकास की योजनाओं के प्रचार के नाम पर बहायी जा रहे हैं ।ऐसे में देवरी के सात वार्डों में विकास की किरणें क्यों नहीं पहुंच पा रही हैं? इस सब पर भी सरकार और जिम्मेदारों को सोचा होगा। वार्ड पार्षद वास्तव में जनता की समस्याओं की लड़ाई के लिए अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल करने के लिए विवश हुए हैं, क्या निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा हो रही है। वार्ड में सफाई न होना,नालियों का निर्माण नहीं होना, सड़कों का निर्माण नहीं होना, खंबों पर बिजली एवं विकास योजनाओं का लाभ जनता तक नहीं पहुंच पाना, आखिर किसकी जिम्मेदारी है। और यह सब क्यों नहीं हो रहा इसके लिए जिम्मेदार कौन है इसकी भी जांच होना जरूरी है।
यदि भाजपा का नारा सबका साथ, सबका विकास के सिद्धांत पर भाजपा की नगर पालिका परिषद के जिम्मेदार निर्वाचित जनप्रतिनिधि और सीएमओ जैसे जिम्मेदार अधिकारी नगर के 15 वार्डों में बिना भेदभाव के किए हुए विकास कार्यों को गिनाने के लिए आगे क्यों नहीं आ रहे हैं। क्योंकि कुछ वार्ड पार्षदों द्वारा और अन्य भाजपा के कार्यकर्ताओं द्वारा सोशल मीडिया पर इस तरह की पोस्ट डाली जा रही है कि नगर में करोड़ों रुपए के विकास कार्य हो रहे हैं। यदि करोड़ों रुपए के विकास कार्य हो रहे हैं तो सात वार्ड पार्षदों विकास कार्य न होने का आरोप क्यों लग रहे हैं।
भाजपा के जिम्मेदार जिला अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारी भाजपा की हो रही किरकिरी को मिटाने के लिए आखिर क्यों जागृत नहीं हो रहे हैं।
हड़ताल के दूसरे दिन प्रशासन ने वार्ड पार्षदों से हड़ताल समस्त समाप्त करने का आग्रह किया लेकिन प्रशासन समुचित रूप से वार्ड पार्षदों को संतुष्ट क्यों नहीं कर पाया।
पार्षदों की समस्याओं और विकास कार्य न होने , पार्षदों की उपेक्षा सहित कई मामलों को लेकर सीएमओ को स्वीकार किया और पार्षदों को समुचित उत्तर नहीं दे पाई।

पार्षदों की अनिश्चितकालीन हड़ताल ने जहां भाजपा के पुरोधा दीनदयाल उपाध्याय और एकातमानववाद की मनसा धूमिल कर दिया है। भाजपा में व्याप्त राजनीतिक कलह सड़कों पर जनता के सामने रख दिया है। जिसका नुकसान आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को होना आवश्यंभावी माना जा रहा है।

यदि समय रहते प्रशासन और जिम्मेदारों को अपना घमांडीया रवैया नही सुधार तो आगामी दिनों में 7 पार्षदों के बाद विकास से वंचित वार्डों की जनता का आक्रोश भी सड़कों पर पनप सकता है। इसलिए प्रशासन को ठोस उपाय करना चाहिए ताकि विकास से जनता वंचित न रहे। यदि विधानसभा चुनाव के पहले उपेक्षित सात वार्डों में विकास नहीं पहुंचा तो चुनाव में भाजपा की वोट र्बैंक प्रभावित हो सकती है। और तीसरी बार भाजपा को विधानसभा चुनाव में हर का सामना करना पड़ सकता है।
भाजपा की कथनी और करनी में अंतर गिरने वाले नेताओं को इसका नुकसान विधानसभा चुनाव में गांव-गांव में देखने को भी मिलेगा। क्योंकि भाजपा पार्षदों के इस आंदोलन का संदेश गांव गांव में भी चला गया है की भाजपा सबका साथ और सबका विकास किस तरह से कर रही है।

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