देवरी कला। खादी, हथकरघा और हस्तशिल्प की त्रिवेणी से मजबूत हो रहे ग्रामीण परिवार आत्मनिर्भर बन रहे हैं।
राष्ट्रहित चिंतक दिगंबर जैन आचार्य श्री 108 विद्यासागर महाराज के आशीर्वाद और प्रेरणा से 2015 में मध्यप्रदेश के देवरी तहसील के बीना ग्राम में खादी एवं हथकरघा का प्रकल्प प्रारंभ हुआ।
जिसके अंतर्गत देवरी और इसके आसपास युवाओं को हथकरघा का प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार प्रदान किया जा रहा है वर्तमान में इस केंद्र में लगभग 100 युवा कार्यरत है और सभी बुनकर 300 से 500 रूपये प्रतिदिन अर्जित कर रहे हैं केंद्र में देवरी, बीना, बारहा, रानीताल, सिलारी, खैरी, बिछुआ, पिपरिया गुसाई, राजोला, टूडरी आदि गाँवो के युवाओं को प्रशिक्षण देकर उनके घर पर ही उन्हें रोजगार प्रदान किया जा रहा है ताकि वे स्वावलंबन और स्वाभिमान के साथ जीवन यापन कर सकें सर्वप्रथम युवाओं को 15 दिन का नि:शुल्क प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है इसके उपरांत भी इस योग हो जाते हैं कि 300 से 500 रूपये प्रतिदिन अर्जित करने लगती है इस केंद्र में हथकरघा के द्वारा चादर, टॉवल, रुमाल, धोती, दुपट्टा, साड़ी, गमछा आदि उत्पाद तैयार किए जाते हैं जिनका विक्रय भारत के विभिन्न शहरों के साथ-साथ विदेशों में भी किया जाता है
आचार्य श्री की आज्ञा से उच्च शिक्षित (IIT, ICAI, MBA, MCA, BAMS) युवा ब्रह्मचारी भाइयों की टीम इस संस्था का सफल संचालन कर रहे हैं गुरुदेव ने इस पवित्र संस्था का नाम श्रमदान रखा है
पिछले 1 वर्ष में संस्था ने ग्रामीण परिवारों की आर्थिक संपन्नता बढ़ाने हेतु तीन नवीन विभाग शुरू किए हैं जिसमें और अधिक लोगों को रोजगार मिल सके
- अंबर चरखा विभाग –
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के अनुसार खादी वस्त्र अहिंसा का प्रतीक है उनके इस पवित्र विचार को साकार रूप देने के लिए वर्ष 2022 में श्रमदान के बीना केंद्र में खादी विभाग का शुभारंभ किया है इसके अंतर्गत ग्रामीण भाइयों को अंबर चरखा के द्वारा कपास के माध्यम से सूती धागे का उत्पादन करना सिखाया जाता है इसी धागे से हथकरघा के माध्यम से खादी वस्त्रों का निर्माण किया जाता है जो अत्यंत हल्के व आरामदायक होने के साथ-साथ यह वस्त्र पूर्ण अहिंसक होते हैं वर्तमान में खादी विभाग में 24 युवा कार्यरत है - सिलाई विभाग –
आज के आधुनिक युग में अधिकांश लोग बने हुए अर्थात रेडीमेड उत्पात खरीदना पसंद करते हैं उपभोक्ताओं की इस जरूरत को ध्यान में रखते हुए श्रमदान के बीना केंद्र में सिलाई केंद्र की स्थापना वर्ष 2022 में की गई जिसके अंतर्गत देवरी व आसपास के ग्रामीण युवाओं को सिलाई की विभिन्न विधाओं का प्रशिक्षण प्रदान कर उन्हें इस रचनात्मक कला में प्रवीण बनाया जा रहा है इसके माध्यम से ये सभी युवा 12000 से 15000 रूपये प्रतिमाह कमा रहे हैं - कढ़ाई विभाग –
पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाने के लिए संस्था के द्वारा एक नई पहल की गई क्योंकि नारियों की स्वाभावतः रचनात्मक होती है अतः उनके इस गुण के माध्यम से उन्हें आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने और स्वाभिमान के साथ जीवन यापन करने के लिए वर्ष 2023 में देवरी नगर में एक कढ़ाई विभाग शुरू किया गया है जिसमें स्थानीय महिलाओं को कढ़ाई की विभिन्न विधाओं का प्रशिक्षण दिया जा रहा है जिनमें काथा, फुलकारी जरदोजी प्रमुख है जिससे वे हथकरघा से बने वस्त्रों और साड़ियों में रंग-बिरंगे धागों और मोती आदि वस्तुओं के प्रयोग द्वारा अनेक मनभावन डिजाइन ओं की रचना कर रही है वर्तमान में इस केंद्र पर 40 महिलाएं कार्यरत है
इस प्रकार श्रमदान निरंतर हथकरघा और हस्तशिल्प की विविध कलाओं के माध्यम से ग्रामीण परिवारों की खुशहाली बढ़ाने और ग्राम स्वराज की अवधारणा को पुनः स्थापित करने की दिशा में अग्रसर है
एक बार आकर अवश्य इस पावन कार्य को देखें क्योंकि 150 करोड़ की आबादी वाले और 6 लाख गांव वाले हमारे इस भारत की सारी समस्याओं का हल आखिरकार कुटीर उद्योग से ही निकल कर आएगा जिससे किसी ग्रामवासी की रोजी रोटी के लिए शहरों में संघर्ष नहीं करना पड़ेगा और हमारा देश पुनः सोने की चिड़िया बन जाएगा स्मार्ट सिटी तो हमने बना ली अब बारी है स्मार्ट विलेज की।
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