देवरी कलां। जनसंख्या नियंत्रण में पुरुष भागीदारी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है किंतु पुरानी धारणाओं भ्रांतियों के चलते परिवार नियोजन में पुरुषों की भागीदारी नगण्य है। परिवार नियोजन में पुरुष भागीदारी बढ़ाने के लिए आशंकाओं और भ्रांतियों को दूर करने के उद्देश्य से ग्राम स्तर पर पुरुष सहभागिता सम्मेलनों का आयोजन प्रारंभ किया गया है। मोकला सम्मेलन में उपस्थित लोगो को जानकारी देते हुए सेक्टर पर्यवेक्षक डॉ एस आर आठिया ने बताया कि पुरूष नसबंदी सुरक्षा और ऑपरेशन में सरलता की दृष्टि से महिला नसबंदी की अपेक्षा अत्यंत आसान है। पुरूष नसबंदी से नपुसंकता अथवा स्वास्थ पर कुप्रभाव पड़ने की भ्रांतियों को बैज्ञानिक आधार पर पूरी तरह से निराधार और गलत साबित किया जा चुका है । आज पुरुष नसबंदी अपनाना पुरूष के आधुनिक, शिक्षित, जिम्मेदार और सचेत होने का प्रमाण है, क्योंकि यह पद्धति विदेशो में काफी लोकप्रिय है जैसे- विगत वर्षों में अमेरिका में बीस लाख में से दस लाख, इंग्लैण्ड में नौ लाख महिलाओ के मुकावले 20 लाख पुरूषो ने नसबंदी कराई। अपने ही देश में महाराष्ट्र तथा मध्यप्रदेश के बालाघाट, छिंदवाड़ा, मंडला, खरगौन, जिलो में यह बहुत प्रचलित पद्धति है।पुरूष नसबंदी महिला नसबंदी की अपेक्षा अत्यंत सरल है क्योकि इसमें टेस्टिस के ऊपर वाली खाल को एक महीन सुई लगाकर सुन्न कर एक खास चिमटी से बहुत बारीक छेद करके इसमें से शुक्रवाहिनी नली को निकालकर इसके दोनो शिरो को बांध दिया जाता है जिससे स्पर्म प्रोस्टेट ग्रंथि तक नही पहुंच पाते और सेक्सुअल इंटरकोर्स के पश्चात जो सीमेन निकलता है वह शुक्राणु रहित होता है जिससे महिला गर्भवती नही हो पाती ।इन सम्मेलनों में पुरुष नसबंदी अपना चुके व्यक्तियों के अनुभव सांझा किए जाकर उन्हें सम्मानित किया जाता है। सम्मेलन में डॉ योगेश व्यास, जय विश्वकर्मा, आर एस राजपूत, अवधेश मिश्रा, उत्तम अहिरवार, बी पी राय महेंद्र ठाकुर सहित समस्त एएनएम, सीएचओ ,आशा सहयोगी तथा आशा कार्यकर्ता उपस्थित रही।
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