देवरी कलां। देवरी के पास हथखोए एक ऐसा गांव है जहां पर लोग होलिका दहन तो ठीक एक दूसरे को रंग गुलाल तक नहीं लगाते है, और अगर वह ऐसा करते है तो उनके गांव में विराजी कुल देवी रुष्ट हो जाती है, माता किसी से रुष्ट ना हो उनकी कृपा सभी पर बनी रहे, इसलिए ग्रामीण कई सालों से यहां पर होली नहीं जलाते हैं जो अब यहां की परंपरा में भी शामिल हो गया है.
देवरी से करीब से 10किलोमीटर दूर देवरी ब्लॉक में हथखोय गांव स्थित है। गांव के लोग बताते है कि जब से वह पैदा हुए हैं तब से एक बार भी होली जलते नहीं देखी है. बड़े बुजुर्ग बताते थे कि एक बार कभी परंपरा को तोड़कर होली जलाने का प्रयास किया था लेकिन पूरे गांव में आग लग गई थी ऊंची ऊंची लपटे उठने लगी थी. जिसके बाद ग्रामीणों में अफरा-तफरी का माहौल था फिर लोगों को समझ आया कि झारखंडन माता नाराज हो गई हैं लोगों ने जाकर माता के दर पर प्रार्थना की और आगे से ऐसा ना करने का संकल्प लिया. जिसके बाद आग बुझ गई थी. उसके बाद से ना तो ग्रामीणों ने कभी होली जलाने का प्रयास किया और ना ही रंग उत्सव मनाया. फिर ना ही इसके बाद कभी इस प्रकार की कोई आपदा गांव में आई है इसके पीछे ग्रामीण माता की ही कृपा बताते हैं. वे कहते है की मां झारखंडन गांव की और गांव वालों की रक्षा करती हैं.
गांव के बाहर झारखंडन माता का प्राचीन मंदिर बना है गांव के लोग कुलदेवी के रूप में उनकी पूजा अर्चना करते हैं. नवरात्रि के समय यहां पर बड़ा मेला भी आयोजित किया जाता है
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