भगवान भाव के भूखे हैं व्यंजनों के नहीं: पंडित सुरेश चंद्र शास्त्री

श्रीमद्भागवत महापुराण के पांचवें दिन भगवान श्री कृष्ण की बाल लीला का बखान किया

देवरी कला। नगर के झुनकु वार्ड मे पंडित राम अवतार मिश्रा के निवास पर रोड पर श्रीमद्भागवत महापुराण संगीतमय कथा के पांचवें दिन कथावाचक पंडित सुरेश चंद्र शास्त्री वृंदावन धाम ने भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं पर विस्तार से कथा का रसपान कराते हुए राधे राधे नाम की महिमा बताई। जिसे सुनकर श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए।
कथावाचक सुरेश चंद्र शास्त्री ने भगवान श्री कृष्ण के विभिन्न अवतारों का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान भाव के भूखे हैं वह व्यंजनों के भूखे नहीं होते हैं जिनके हृदय में प्रेम भाव, उसे भगवान के दर्शन हो जाते हैं।
उन्होंने भगवान श्री कृष्ण के बाल्यकाल की लीलाओ का सुंदर वृतांत सुनाते हुए कहा कि भगवान कृष्ण माखन चोरी करते थे तब बृजवासी गोपियां परेशान होकर उलाहना देने के लिए माता यशोदा के पास पहुंची और उन्होंने माखन चोरी की शिकायत की। उन्होंने भजन मेरी दीन्ही मटकिया फोड़ दी यशोदा तेरे लाल ने प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके बाद उन्होंने वृंदावन धाम कथा सुनाई और कहां की राधे राधे नाम की उच्चारण करने से एक राम की महिमा से भी 7 गुना पुण्य प्राप्त होता है।
उन्होंने कहा कि पहले बच्चे दूध दही माखन खाते थे और बलवान बनते थे लेकिन भारत देश में अंग्रेजों ने चाय की शुरुआत की है। चाय शरीर के अंदर जाकर खून को पानी बना देती है जबकि अंग्रेज कभी दूध की चाय नहीं पीते। कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों ने हाथ पांव कट जाने के बाद मुझे बंदूक चलाई थी ऐसे ही बलवान सैनिको की तारीफ की थी। इसलिए माता पिता
बच्चों को चाय की जगह दूध पिलाएं। कथा के यजमान पंडित राम अवतार मिश्रा रामकृष्ण मिश्रा के परिजनों ने श्रीमद्भागवत पुराण की आरती मे हिस्सा लिया।

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