देवरी कला। विद्या विहार कॉलोनी में चौरसिया परिवार द्वारा आयोजित शिव महापुराण के चौथे दिन कथा चार्य निर्मल कुमार शुक्ला ने भगवान शिव पार्वती के विवाह का मनोहारी प्रसंग सुनाया। इस दौरान शिव पार्वती विवाह का सजीव चित्रण भी किया गया। जिसमें भगवान शिव शंकर की वेशभूषा धारण कर भूत पिचास के साथ धूमधाम से बारात पंडाल में पहुंची। वही भगवती पार्वती अपनी सखियों के साथ वरमाला लेकर पंडाल में पहुंची ।जहां विधिवत मंत्रोच्चार के द्वारा जयमाला कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस दौरान श्रद्धालुओं ने पंडाल में नाच गाकर धूमधाम के साथ शिव विवाह का आनंद उठाया।
कथा चार्य निर्मल कुमार शुक्ला ने भगवान शंकर और पार्वती के विवाह का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि भगवती पार्वती ने भगवान शंकर को पाने के लिए हिमाचल पर्वत पर चिंता बादशाह की। जहां भगवान शंकर ने पार्वती की परीक्षा ली। भगवान शंकर ने स्वयं की निंदा भी की। नहीं लेकिन स्वयं की निंदा करने से कभी पाप नहीं लगता है। उन्होंने कहा कि पार्वती के कहने पर जब भगवान शंकर पार्वती का रिश्ता मांगने के लिए उनके पिता राजा हिमांचल के यहां गए थे। पार्वती ने कहा था कि मेरे पिता का मान सम्मान करने के बाद वह विवाह करेंगी। लेकिन आजकल तो 15 दिन की यार दोस्ती थी के खातिर लड़कियां मां बाप छोड़कर विवाह कर लेती हैं जबकि मां-बाप अपने बच्चों को हर परिस्थितियों से निपट कर पालता है। लेकिन आजकल की लड़कियां मां बाप के त्याग तपस्या की भूल जाती है और ठोकर मार देती हैं। उन्होंने कहा कि पैसे भी पर विवाह का प्रारंभ आदि भगवान शंकर ने ही किया था इसलिए विवाह में शंकर पार्वती के गीत गाए जाते हैं।
उन्होंने कहा कि आजकल की लड़कियों को मां पार्वती के त्याग को समझना चाहिए और मां-बाप की इज्जत को ध्यान में रखते हुए उनके सम्मान को ठेस पहुंचाए बगैर विवाह करना चाहिए।
इस दौरान कथा की यजमान श्रीमती सरोज रानी कौशल चौरसिया राजेश चौरसिया देवेश चौरसिया गोविंद चौरसिया सुनील चौरसिया नीरज चौरसिया गोविंद चौरसिया गुड्डा नरेश चौरसिया प्यारेलाल चौरसिया मुरारी चौरसिया कैलाश चौरसिया पहला चौरसिया कालूराम चौरसिया सहित बड़ी संख्या में श्रोता मौजूद थे।
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