देवरी कला। परमात्मा सर्वत्र विराजमान है ,सर्वदा समान रूप से कण-कण में भरे हुए हैं। भगवान किस रूप में कब प्रकट हो जाते है, कहा नहीं जा सकता। पार्थिव शिवलिंग श्री भगवान शंकर के प्रकटय हो जाता है, ऐसा कोई स्थान नहीं जहां भगवान नहीं है। वेदों में भी कहा गया है कि भगवान सबके उदर में विराजमान है, ईश्वर सर्वभूतेषु।
यह उद्गार अंतर्राष्ट्रीय मानस महारथी कथाचार्य पंडित निर्मल कुमार शुक्ला ने देवरी के तिलक वार्ड में चल रही शिव महापुराण के छठवें दिन व्यक्त करते हुए भगवान शिव के विभिन्न अवतारों की कथा सुनाई।
उन्होंने बताया कि भगवान हनुमान भगवान शंकर के पुत्र हैं उन्होंने शिव पुराण का संदर्भ देते हुए कहा कि शंकर सुमन केसरी नंदन चौपाई के माध्यम से समझाते हुए कहा कि हनुमान जी महाराज को शिव का आत्मक पुत्र बताया गया है और हनुमान जी महादेवअंश के रूप में धरती पर अवतरित हुये है। पंडित शुक्ला ने कहा कि साइंस ने जब आंखें नहीं खुली थी ऑस्टिन एवं गोलेलियों जैसे वैज्ञानिक नहीं हुए थे । हनुमान चालीसा में जुग सहस्त्र जोजन पर भानू लेलियो मधुर फल जानू, चौपाई में हजारों साल पहले पृथ्वी और सूर्य की दूरी बताई गई है जो आजकल वैज्ञानिक निकाल रहे हैं। उन्होंने स्वर्ण प्रसंग सुनाते हुए कहा कि कभी भी गर्भवती स्त्री को सती नहीं होना चाहिए। उन्होंने से अवतार में पीपलादीईश्वर महाराज और 12 ज्योतिर्लिंगों का महत्व बताया।
उन्होंने बताया कि सोमनाथ प्रथम ज्योतिर्लिंग है जो समुद्र के तट पर विराजमान है जिनके दर्शन से हृदय रोग किडनी कैंसर छह रोग नष्ट हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि जो भाग्यशाली श्रद्धालु भगवान शिव की कथा सुनते हैं उनके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
इस दौरान कथा के मुख्य यजमान श्रीमती सरोज रानी चौरसिया गुड्डा चौरसिया गोविंद चौरसिया नरेश चौरसिया कैलाश चौरसिया मुरारी चौरसिया कौशल गोपाल चौरसिया सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने शिव महापुराण कथा का रसपान किया।
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